झारखंड में लगातार बढ़ रहे HIV पेशेंट, जानें क्या है कारण

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साहेबगंज। जिले में इस तरह HIV से ग्रसित रोगियों की संख्या का बढ़ना चिंता जनक जरुर है। हर साल इसकी संख्या बढ़ती जा रही है। वजह यह है कि झारखंड के इस छोटे से जिले में कोई उद्योग धंधा नहीं है। लोग बाहर कमाने के लिए जाते हैं और इस तरह की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं और आने के बाद अपनी पत्नी, बच्चों को प्रभावित कर देते हैं।सदर अस्पताल और जानकारी देते DPRO और प्रभारी CS
बता दें कि जिले में नौ प्रखंड के साथ इस तरह की बीमारी की जांच के लिए जिले में तीन स्थानों पर किया जा रहा है। पहला आईसीटीसी सदर हॉस्पिटल, दूसरा आईसीटीसी सब डिविजनल हॉस्पिटल राजमहल और तीसरा पीएचसी उधवा में जांच किया जाता है।25 मरीजों की अब तक मौत आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2008 से 30 नवंबर 2017 तक जिले में 532 मरीज एचआईवी से ग्रसित मिले और 66 मरीज टीवी और एचआईवी दोनों से ग्रसित मिले हैं। 25 मरीजों की अब तक इस एड्स से मौत हो चुकी है।HIV पीड़ितों की संख्या
आईसीटीसी साहेबगंज की बात करें तो पुरुषों की संख्या- 82 और महिला- 55 और गर्भवती नौ हैं। कुल 146 एचआईवी से ग्रसित मरीज मिले हैं। वहीं राजमहल की बात करें तो पुरुषों की संख्या-154, महिला-141 और गर्भवती पांच, कुल संख्या-330 होती है। वहीं आईसीटीसी उधवा की बात करें तो पुरुष-29, महिला-25 और गर्भवती दो, कुल- 56 मरीज एड़्स से ग्रसित हैं। दूसरी महिला के संपर्क में आने से फैलती है बीमारी
वहीं, पूरे मामले पर प्रभारी सीएस एके सिंह से पूछा गया कि राजमहल में सबसे अधिक एड्स से ग्रसित मरीजों की संख्या 330 बढ़ने का क्या कारण है, तो उन्होंने बताया कि राजमहल में प. बंगाल का बोर्डर पड़ता है। लोग पड़ोसी जिला या दूसरे राज्य में कमाने के लिए जाते हैं। जानकारी के अभाव में किसी दूसरी महिला के संपर्क में आते हैं या महिला किसी दूसरे पुरुष के संपर्क में आकर एचआईवी से ग्रसित हो जाते हैं।राजमहल में HIV मरीज सबसे ज्यादा इसका मुख्य कारण है जानकारी का आभाव, जिलास्तर से लोगों को बराबर जागरुक किया जा रहा है। इससे बचने के उपाय बताए जा रहे हैं, फिर भी लोग अनजान बने रहते हैं और जिले में खासकर राजमहल में इसकी संख्या अधिक देखने को मिल रही है।जागरुक करने का काम किया जा रहा इधर, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी प्रभात शंकर ने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से बराबर अभियान चलाया जा रहा है। कार्यशाला, सेमिनार के माध्यम से लोगों को जागरुक किया जा रहा है। जिले में संथाली और बंगला भाषी भी हैं। इन भाषाओं में भी गांव-गांव एलईडी वैन के माध्यम से जागरुक करने का काम किया जा रहा है।

रिपोर्ट – अमित कुमार चौरसिया , राजमहल

Publish By-Pranjal Srivastava

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