हमारे भारत देश में महिलाओं को देवी का स्वरूप माना गया है और उनकी तुलना देवी लक्ष्मी जी के समान की गयी है और उनको उसी रूप में पूजा भी जाता है

आज देश में महिलाओं के प्रति जो अत्याचार और असुरक्षा का भाव दिखाई देता है उसको भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। ज़्यादातर जगहोँ पर महिला का शोषण हो रहा है फिर चाहे वो माँ हो, बेटी हो, बहन हो, पत्नी हो या 5-7 साल की छोटी बच्ची ही क्यों न हो, जगह जगह नाबालिग लड़कियों से छेड़छाड़ की जा रही है, परेशान किया जा रहा, आते जाते उन पर अश्लीलता भरी फब्तियां कसी जा रही है। बड़ी शर्म की बात है कि आज सड़कें, सार्वजनिक स्थल, पार्क, रेल, बस आदि असामाजिक तत्वों के अड्डे बन गए है, स्कूल तथा कॉलेज जाने वाली छात्रायें भय के साये में जी रही है। जब भी वे घर से बाहर निकलती है तो सिर से लेकर पैर तक ढकने वाले कपडे पहनने को मजबूर है और ये उनकी निजी आज़ादी पर ग़ुलामी भरा पहरा है।

एक तरफ तो कहा जाता है कि आज की नारी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है और वो देश के विकास में भी आधी भागीदार है। उसके बावजूद 21वीं सदी में हिंदुस्तान में ऐसी दिल दहला देने वाली घटनाओं का होना हमारी संस्कृति और सभ्यता को ना केवल शर्मसार ही करता है अपितु इंसानियत के ऊपर एक अमिट कलंक भी है।

………..शेष भाग कल

धन्यवाद
संजय चौहान
सच के साथ भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़!!

Leave a Reply

%d bloggers like this: