DGP UP: कार्य संभालने के बाद डीजीपी डा. डीएस चौहान बोले, शीर्ष वरीयता पर रहेगी शासन की प्राथमिकता

UP DGP Dr. Devendra Singh Chauhan कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक का पद संभालने के बाद डा. देवेन्द्र सिंह चौहान ने अफसरों से मिलकर बताई प्राथमिकताएं। उन्होंने साफ-साफ कहा कि प्रदेश में अपराध नियंत्रण के लिए काम किया जाएगा। महिलाबुजुर्गोंबच्चों की सुरक्षा पर काम होगा।

लखनऊ,संज्ञान न्यूज़ डेस्क। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक का पद संभालने के बाद ही डा. देवेन्द्र सिंह चौहान ने अपनी वरीयता तय कर दी है। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुख्यालय सिगनेचर बिल्डिंग में कार्यभार संभालने के बाद डा. चौहान ने शासन की प्राथमिकता पर कार्य करने पर जोर दिया।

डा देवेन्द्र सिंह चौहान के पदभार ग्रहण करने के बाद डीजीपी आफिस से ट्वीट किया गया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के पुलिस बल के डीजीपी के रूप में जनता की सेवा का अवसर देने के लिए मैं मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। यूपी पुलिस एक परिवार की भांति टीम भावना बनाये रखते हुए शासन की प्राथमिकताओं के अनुसार पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से कार्य करेगी। प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक का पद संभालने के बाद डा. देवेन्द्र सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिष्टाचार मुलाकात की। डीएस चौहान ने सीएम योगी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की।

कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक का पद संभालने के बाद डा. देवेन्द्र सिंह चौहान ने अफसरों से मिलकर प्राथमिकताएं बताई । उन्होंने साफ-साफ कहा कि प्रदेश में अपराध नियंत्रण के लिए काम किया जाएगा। महिला, बुजुर्गों, बच्चों की सुरक्षा पर काम होगा। पुलिस व्यापारियों की सुरक्षा पर काम करेगी अपराध नियंत्रण के लिए तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इसके साथ ही पुलिस की कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास भी होगा।

लेंगे फील्ड पोस्टिंग तथा प्रतिनियुक्ति का लाभ लेने का प्रयास : प्रदेश सरकार ने मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाने के करीब 20 घंटे बाद डीजी इंटेलीजेंस तथा विजिलेंस डा. देवेन्द्र सिंह चौहान को डीजीपी के पद का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया। इंटेलीजेंस व विजिलेंस जैसी पुलिस की दो प्रमुख शाखाओं की अगुवाई कर रहे चौहान को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अधिकारियों में गिना जाता है। मूल रूप से मैनपुरी के निवासी डा. देवेंद्र सिंह चौहान ने एमबीबीएस की पढ़ाई की है। 1988 बैच के आइपीएस हैं। वर्ष 2006 से 2011 तथा 2016 से वर्ष 2020 के बीच दो बार केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे हैं। केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीआरपीएफ में आइजी के पद पर तैनात थे। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध कई आपरेशन के अगुवा रहे चौहान को राज्य सरकार ने केन्द्र से वापसी के बाद फरवरी, 2020 में डीजी इंटेलिजेंस के पद पर तैनाती दी थी। डा. देवेन्द्र सिंह चौहान प्रदेश में आगरा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर, रामपुर समेत कई बड़े जिलों के एसपी समेत अन्य महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं। इसी कारण उनको फील्ड पोस्टिंग का साथ ही केन्द्र सरकार में कार्य करने के अनुभव का लाभ मिलेगा।

पूर्णकालिक डीजीपी बनने की पूरी उम्मीद : प्रदेश सरकार नए डीजीपी के चयन के लिए जल्द ही वरिष्ठता सूची में शामिल उन आइपीएस अधिकारियों के नामों पर विचार करेगी, जिन्होंने 30 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है और उनका छह माह से अधिक का सेवाकाल शेष हो। वरिष्ठता सूची में शामिल तीन अधिकारियों के नामों का पैनल केंद्र को भेजा जाता है, जिनमें एक नाम पर केन्द्रीय संघ लोक सेवा आयोग अंतिम मुहर लगाता है। वर्तमान में 1987 बैच के ही आइपीएस अधिकारी आरपी सिंह वरिष्ठ सूची में सबसे आगे हैं। उनके बाद इसी बैच के आइपीएस अधिकारी जीएल मीणा दूसरे स्थान पर हैं। 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी आरके विश्वकर्मा तीसरे, डा. डीएस चौहान चौथे व आनन्द कुमार पांचवें स्थान पर हैं। डीजी सीबीसीआइडी जीएल मीणा का सेवाकाल जनवरी, 2023 में पूरा होगा, जबकि वरिष्ठता सूची में शामिल डीजी बिश्वजीत महापात्र जुलाई, 2022 में अपना सेवाकाल पूरा करेंगे। होमगार्ड विभाग में मस्टर रोल घोटाला उजागर होने के बाद शासन ने तत्कालीन डीजी होमगार्ड जीएल मीणा को उनके पद से हटा दिया था। यदि सरकार किसी रिपोर्ट का संज्ञान लेती है तो जीएल मीणा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यदि पैनल के लिए नामों का चयन जुलाई बाद हुआ, तब भी जीएल मीणा का नाम दौड़ से बाहर हो सकता है। ऐसी स्थिति में डा. देवेन्द्र सिंह चौहान का नाम वरिष्ठता सूची में तीसरे नंबर पर होगा। उन्हें पूर्णकालिक डीजीपी की तैनाती मिल सकती है। पूर्व में डीजीपी रहे हितेश चंद्र अवस्थी व मुख्य सचिव रहे राजेंद्र कुमार तिवारी को भी पहले-पहल बतौर कार्यवाहक तैनाती दी गई थी जो कि बाद में पूर्णकालिक डीजीपी व मुख्य सचिव बने। इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि डीएस चौहान को भले ही अभी डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है लेकिन बाद में इन्हें भी स्थायी तैनाती मिल जाएगी। 

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