ये कविता पिता एक उम्मीद है
मुकेश शर्मा
रायबरेली (संज्ञान न्यूज़) पिता एक उम्मीद है,एक आस है
परिवार की हिम्मत और विश्वास है ।
बाहर से सख्त अंदर से नर्म है
उसके दिल में दफन कई मर्म है
पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है ।
परेशानी से लडने की दो धारी तलवार है ।
बचपन में खुश करने वाला खिलौना है ।
नींद लगें तो पेट पर सुलाने वाले बिछौना है ।
पिता जिम्मेदारी से लदी गाड़ी का सारथी है ।
सबको बराबर का हक दिलाता यही एक महारथी है ।
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है ।
इसी से मां और बच्चों की पहचान है।
पिता ज़मीर है पिता जागीर है
जिसके पास ये है ,वह सबसे अमीर है
कहने को सब ऊपर देता है
पर ख़ुदा का ही रूप पिता का शरीर है घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने वाले पिता है । घर की रौनक करने वाले पिता है हम प्रणव तिवारी की कलम से ✍️✍️।