मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज में आयोजित हुआ व्याख्यान ‘भाषा आज भी है और कल भी रहेगी’ डॉ. सेहर अफ़रोज़


संवाददाता रज़ा सिद्दीक़ी
गया (संज्ञान न्यूज़) मिर्जा गालिब कॉलेज की मीटिंग हॉल में ‘भाषा के सांस्कृतिक महत्व ‘ पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें मिथिला यूनिवर्सिटी दरभंगा से संबद्ध कॉलेज जीडी कॉलेज बेगूसराय की उर्दू विभाग की प्रोफेसर डॉ. सेहर अफ़रोज़ ने अपनी बात प्रमुखता से रखी. कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के डॉ. जियाउर रहमान जाफ़री ने किया.इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शुजाअत अली खान ने डॉ. सेहर अफ़रोज़ को बूके देकर सम्मानित किया. यह कार्यक्रम कॉलेज के हिन्दी उर्दू और अंग्रेजी विभाग के सौजन्य से आयोजित किया गया था. अपनी बात विस्तार से रखते हुए डॉ.सेहर अफ़रोज़ ने कहा कि व्यक्ति की तरह भाषा को भी संघर्ष करना पड़ता है, जो भाषा समय के साथ अपने आप को एडजस्ट कर लेती है वही भाषा जिंदा रहती है. उनका मानना था कि भाषा हमारी सभ्यता और संस्कृति का पहले हिस्सा है और रोजगार का बाद में. हम यह तर्क नहीं दे सकते कि उस भाषा में रोजगार के साधन नहीं हैं.रोजगार के लिए और भी पढ़ाई की जा सकती है, पर कोई भी भाषा हमारे संस्कार को बनाने के लिए है. उन्होंने अपने कॉलेज का जिक्र करते हुए कहा कि मैं जब वहां थी तो वहां पढ़ने -पढ़ाने के साधन नहीं थे.मैंने कोशिश की तो आज 137 से अधिक बच्चे उर्दू भाषा में पीजी कर कर रहे हैं. दस पीएचडी पूरी कर रहे हैं और पांच जे आर एफ हैं. उनका मानना था कि यह बात तर्कसंगत बिल्कुल नहीं है कि कॉलेज में बच्चे नहीं आते. जब शिक्षक पढ़ने- पढ़ाने से अधिक कार्यालयी काम में दिलचस्पी लेने लगते हैं, तो स्वभावतः बच्चे महाविद्यालय आना बंद कर देते हैं. डॉ.अफरोज ने कहा कि महाविद्यालय पढ़ने की जगह है छात्रवृत्ति की जगह नहीं, जैसा के समझ लिया गया है. उन्होंने अफसोस जताया कि बच्चों को स्कॉलरशिप की खबर मिल जाती है, लेकिन क्लास की ख़बर नहीं मिलती. उन्होंने भाषा की शुद्धता के प्रश्न पर कहा कि एक शब्द जब दूसरी लिपि में बदल जाते हैं तो उस भाषा का रूप भी बदल जाता है. उनका मानना था कि भाषा में भी रोजगार के साधन हैं , पर हम मेहनत करने के बजाए ट्रे पर डिग्री लेना पसंद करते हैं.हमारी िस्थति यह है कि हमें शॉपिंग मॉल का तो पता है, पर किताबों की दुकान की ख़बर नहीं है.खाना हम सब खा लेते हैं, पर पढ़ाई हमें खाने के सलीके सिखाती है.इस कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा डॉ. आफ़ताब, डॉ. इबरार खान, डॉ. नुसरत जबीं सिद्दीकी, डॉ. अकरम वारिस, डॉ. अबु हुज़ैफ़ा, डॉ. दानिश,डॉ. सारिम अब्बास,आयशा ज़मीर, काशिफ मंसूर आदि कई प्राध्यापक मौजूद थे.