बेसिक शिक्षा की उज्ज्वल तस्वीर बना संविलियन विद्यालय अंबरसोत

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श्रुति दीदी का स्कूल बना नज़ीर, दे रहा प्रेरणा

चौंकिए मत ! प्राइवेट नहीं यह सरकारी स्कूल है, कुछ यूं पेश कर रहा नजीर…

प्राजंल श्रीवास्तव

लखीमपुर खीरी (संज्ञान दृष्टि टीम)। बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक एवं छात्रों का अनुशासन अन्य विद्यालयों के लिए मिसाल बन रहे हैं। इसके प्रति अभिभावकों का विश्वास जगा है। शिक्षा क्षेत्र के संविलियन विद्यालय अंबरसोत (नकहा) बेसिक शिक्षा की उज्वल तस्वीर बनकर उभरा है। इंचार्ज प्रधानाध्यापिका श्रुति दीक्षित के नेतृत्व में प्रतिकूल परिस्थितियों व चुनौतियों से लड़कर यहां के शिक्षकों व ग्राम प्रधान ने विद्यालय को संवारने का काम किया। इससे अन्य विद्यालयों को सबक लेना चाहिए।

नकहा विकासखंड स्थित संविलियन विद्यालय अंबरसोत का माहौल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ शिक्षको ने भौतिक, शैक्षिक परिवेश को शानदार बनाकर परिषदीय विद्यालयों के लिए नजीर पेश की। विद्यालय में बाला मॉडल पेंटिग, टीएलएम, बाल संसद, शैक्षिणेत्तर गतिविधियां, स्मार्ट क्लासेज,लर्निंग कार्नर, लाइब्रेरी, कक्षा-कक्ष सज्जा, विद्युतीकरण, हरा-भरा कैंपस विद्यालय को अनूठा बनाता है।

विद्यालय की हर गतिविधि में बच्चों के रचनात्मक सोच की झलक तथा उनके आत्मविश्वास से लबरेज चेहरे इस बात को प्रमाणित करता है कि इस विद्यालय के शिक्षक व प्रधानाध्यापक निश्चित रूप से इस ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी विद्यालय में उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था का एक प्रतिमान स्थापित किया है। इस विद्यालय के नेतृत्वकर्ता ने ब्लॉक के कई विद्यालयों को एक राह दिखाई है।

खूबसूरती, हरियाली एवं पठन पाठन के लिए संविलियन विद्यालय अंबरसोत चहुओर सराहा जा रहा। श्रुति ने मेहनत, स्टाफ के सहयोग से यहां तक का सफर तय किया। श्रुति ने विद्यालय में फलदार, छायादार, औषधीय एवं सजावटी पौधों का न केवल रोपण किया, बल्कि उनके पुष्पित, पल्लवित होने तक कड़ी मेहनत की। योगा दिनचर्या में शामिल है, ताकि नौनिहालों के शारीरिक व मानसिक विकास हो सके। गणित किट के प्रयोग व रुचिकर विधियों से छात्रों में आकृतियों व गणितीय तथ्यों की समझ हो रही। ग्राम प्रधान की सहायता से कायाकल्प के सभी 19 बिंदु संतृप्त हैं। निपुण विद्यालय बनाने का संकल्प शीघ्र ही फलीभूत होता दिख रहा। स्कूल में दो स्मार्ट क्लास भी है।

प्र. प्रधानाध्यापिका का कहना है कि यदि स्टाफ का सहयोग और मार्गदर्शन न मिलता तो ऐसी भौगोलिक परिस्थिति में इतनी शीघ्र सफलता मिलना शायद संभव न हो पाता। एक टीम के रूप में कार्य का संकल्प लिया ताकि हमारे छात्रों को भी वो सब मिले जो हम अपने खुद के बच्चों को देना चाहते है। बेहतर भवन, खेल-सामग्री, रुचिकर पुस्तकें ,विज्ञान प्रयोगशाला एक संस्कारों से परिपूर्ण वातावरण इन सब को करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति चाहिए एक सकारात्मक सोच चाहिए।

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