भारत को हर भाषा में भारत ही कहे जाने पर यूनाइटेड हिंदू फ्रंट द्वारा जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया गया


कमल गुरनानी
दिल्ली – यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट द्वारा आज जन्तर-मन्तर पर धरना व प्रदर्शन कर यह मांग की गई कि अंग्रेजों द्वारा भारत को इंडिया कहकर थोपे गए नाम को हटाया जाना चाहिए तथा भारत को हिन्दी व अग्रेंजी में भारत ही कहा जाना चाहिए। इस मांग को लेकर राष्ट्रपति महोदया को एक ज्ञापन भी भेंट किया गया। जिसमे कहा गया कि इतिहास साक्षी है कि सदियों से चली आ रही सनातन संस्कृति के अमूल्य ग्रंथों व पुराणों में हमारे देश के नाम का उल्लेख “भारत कह कर ही हुआ है। परंतु अंग्रेजों ने जानबूझकर पिछड़े, अशिक्षित व जाहिल मानते हुए भारत को इंडिया का नाम देते हुए कहा था कि जिनकी शादी चर्च में नहीं हुई वो जाहिल और अवैध संताने हैं भारतीयों की तो सनातन संस्कृति के अनुसार शादियां होती हैं इसलिए हमें अवैध संताने कहना तो हमारी सनातन संस्कृति का खुल्लम-खुल्ला अपमान है।
जब दुनिया के सभी देशों के नाम हिन्दी और अंग्रेजी में एक ही तरह से पुकारे जाते हैं जैसे अमेरिका, जापान, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका व नेपाल तो भारत को भी हिन्दी और अंग्रेजी में “भारत” ही पुकारा जाना चाहिए।
अंग्रेजों ने जिस तरह उत्तरी अमेरिका के आदिवासियों को रेड इंडियन कहा व जिस तरह अंग्रेजी भाषा में हमेशा वनवासियों, आदिवासियों इत्यादि को जिस घृणा के साथ व नस्लीय श्रेष्ठता की धारणा के साथ इंडियन कहा गया उससे स्पष्ट है कि उनके लिए इंडिया शब्द का अर्थ किसी अपशब्द से कम नहीं है।
जब संविधान सभा में इंडिया शब्द को लेकर विस्तृत बहस हुई, उस समय भी बहुत सारे बृद्धिजीवियों व विद्वानों ने इंडिया के बजाए भारत शब्द का ही समर्थन किया था। जहां इंडिया शब्द एक अपशब्द के तौर पर प्रयोग किया जाता था, वहीं भारत शब्द हमारे असंख्य प्राचीन ग्रंथों व पुराणों में बहुत ही सम्मान से लिया जाता है।
महाभारत के भीष्म पर्व में भी भारत नाम का उल्लेख है-‘अत्र ते वर्णयिष्यामि वर्षम् भारत भारतम् । प्रियं इन्द्रस्य देवस्य मनोः वैवस्वतस्य च । … सर्वेषामेव राजेन्द्र प्रियं भारत भारतम्। ब्रह्मपुराण में भी हमारे देश का नाम ‘भारत’ लिया गया है।
ऋगवेद में भी ‘भारत’ नाम का ही उल्लेख है।
एक तरफ तो आज पूरी दुनिया भारत की प्राचीन सभ्यता संस्कृति, योग को नमन कर रही है, वहीं दूसरी तरफ भारत को इंडिया नाम से पुकारा जाना, भारत के 143 करोड़ भारतीयों का खुल्लम-खुल्ला अपमान है।
भारत का यह नाम उस समय से जुड़ा हुआ है जब पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को इस नाम से जाना जाता था। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण तौर पर भारत शब्द हमारी विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता को दर्शाता है और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा हुआ है। इसे इंडिया कहने की कोशिश करने वाले तो हमारी संस्कृति को ही नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं।
उपरोक्त सभी तथ्यों को सामने रखते हुए यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय भगवान गोयल जी ने भारत को हर भाषा में चाहे हिंदी हो या अंग्रेजी भारत ही कहे जाने का नाम प्रस्तावित किया।