एक सप्ताह में अगर राज्य कर्मी का दर्जा नही मिला तो नियोजित शिक्षक करेंगे आंदोलन:-पीपीएसएस


संवाददाता रज़ा सिद्दीक़ी
गया (संज्ञान न्यूज़) ।31 जुलाई तक वार्ता कर शिक्षकों की मांगों पर विचार करने का सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद भी अब तक कोई पहल नहीं किए जाने और शिक्षकों पर लगातार की जा रही कार्रवाई से गुस्साए शिक्षकों ने सत्तारूढ़ दल के नेताओं के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है। आक्रोशित शिक्षकों ने पोस्टर वार की शुरुआत कर दी है ।पीपीएसस के जिला अध्यक्ष धनन्जय सिंह के आवास पर पोस्टर लगाते हुए शिक्षकों ने अपने दरवाजे पर महागठबंधन के नेताओं की नो इंट्री का पोस्टर लगा दिया है। दरवाजे पर लगाए गए पोस्टर में स्पष्ट लिखा है कि यह नियोजित शिक्षक का घर है यहां आवारा कुत्ते और महागठबंधन के धोखेबाज नेताओं का प्रवेश वर्जित है । इसके साथ ही शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि राज्य सरकार एक सप्ताह के अंदर नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की घोषणा नहीं करती है तो इस पोस्टर वॉर को .तेज किया जाएगा। पहले चरण में सभी शिक्षकों के दरवाजे पर पोस्टर लगाया जाएगा ।


दूसरे चरण में इस अभियान में अभ्यर्थियों के दरवाजे पर, तीसरे चरण में विद्यालय की रसोइया, चौथे चरण में आंगनवाड़ी सेविका, सहायिका और इसके बाद सभी संविदा कर्मियों को इस मुहिम में शामिल किया जाएगा । वर्तमान सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने संविदा कर्मियों को भरोसा दिलाया था कि उनकी सरकार बनेगी तो उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा और समान काम के बदले समान वेतन दिया जाएगा लेकिन सत्ता में आते ही वही सरकार अब उन्हें प्रताड़ित कर रही है।शिक्षिका कुमारी सोनी, सीमा कुमारी,ज़िला उपाध्यक्ष मुस्तफ़ा कमाल आदि ने कहा कि कई वर्षों से कार्यरत शिक्षकों के स्थानांतरण की कोई व्यवस्था नहीं की गई जिस कारण कई शिक्षिकाओं को अपने ससुराल से 70 किलोमीटर की दूरी तय करके अपने मायके में नौकरी करनी पड़ती है
परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धनंजय सिंह , जिला महासचिव ज्योति कुमार एवं रजनीश सिन्हा आदि नेताओं ने कहा कि सत्तारूढ़ दल ने नियोजित शिक्षकों को सम्मान देने की बात कह कर शिक्षकों का वोट ठगने का काम किया और आज शिक्षकों की दाढ़ी, उनके कपड़े पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं । जिन शिक्षकों ने तालिमी मरकज और टोला सेवक की बहाली की थी उन्हीं के द्वारा बहाल किए गए टोला सेवक और तालिमी मरकज स्वयंसेवी से उनकी जांच करा कर उन्हें अपमानित किया जा रहा है । इससे बड़ा दुर्भाग्य पूर्ण कुछ नहीं हो सकता है । सरकार समाज के सामने शिक्षकों के प्रति झूठी हमदर्दी जताते हुए और उनसे वार्ता करने का आश्वासन देती है और दूसरी ओर अपनी मांग के लिए धरना प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को सीधे बर्खास्त करने का आदेश जारी करवाती है जिससे सरकार के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश हो गया है।शिक्षकों ने कहा कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो महागठबंधन के नेता अगर शिक्षकों के घर पर जाते हैं तो उनके मुंह पर कालिख पोतेंगे और उनको अपने दरवाजे से भगाने का काम करेंगे।मुस्तफ़ा कमाल ने कहा कि अपर मुख्य सचिव लगातार पत्र निर्गत कर सभी अधिकारियों को निर्देशित कर रहे थे कि शिक्षकों को किसी गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जाए और आज जब जातिगत जनगणना की बारी आई है तो स्वयं अपर मुख्य सचिव ने ही शिक्षकों को जातिगत जनगणना में लगाने का आदेश जारी कर दिया हैं । इससे पता चलता है कि सरकार और विभागीय अधिकारियों को बच्चों की शिक्षा से मतलब नहीं है बल्कि शिक्षकों को समाज में नीचा दिखाकर और उन्हें अपमानित करके आम जनता का सेंटीमेंट उभारकर शिक्षक विरोधी राजनीति करनी है जो निंदनीय है।