सांकेतिक भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम-शिवानी जैन एडवोकेट

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ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य सांकेतिक भाषा के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस साल अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा की थीम “साइन लैंग्वेज यूनाइट अस” रखा गया है।सांकेतिक भाषा उन लोगों की मदद करती है जो बोलने में असमर्थ हैं। सांकेतिक भाषा में अक्सर संकेतों, इशारों या चित्रों का उपयोग किया जाता है। केवल सांकेतिक भाषा का उपयोग करके अपने विचारों और भावनाओं को दूसरों को समझाना बहुत कठिन है।


प्राचीन मानवाधिकार काउंसिल सदस्य एवं मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन ने कहा कि चेहरे एवं शरीर के हाव भाव से बातचीत करने की भाषा को सांकेतिक भाषा यानी साइन लैंग्वेज कहा जाता है। दूसरी अन्य भाषाओं की तरह संकेतिक भाषा के भी अपने व्याकरण और नियम हैं जिसके तहत सांकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता है। सांकेतिक भाषा मूक एवं बधिर व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण भाषा है। इससे ही मूक एवं बधिर लोग एक दूसरे से कम्युनिकेट करते हैं, साथ ही साइन लैंग्वेज मूक एवं बधिर लोगों की मातृभाषा होती है। इसी भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 23सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है।
शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जी, शालू सिंह एडवोकेट, विमला देवी, श्रीराम अकाउंट्स एंड लॉ इंस्टीट्यूट निर्देशक डॉ नरेंद्र चौधरी, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट,ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, सागर उपाध्याय एडवोकेट, डॉ राजेंद्र कुमार जैन,
इं नितिन जी, इं आकाश कुमार जी , आदि ने कहा कि विश्व बधिर फेडरेशन के अनुसार विश्व में लगभग 7 करोड़ 20 लाख बधिर हैं। इनमें से 80 प्रतिशत विकाशशील देशों में रहते हैं। ये अलग तरह की 300 सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल करते हैं।जिन्हें सुनाई नहीं देता या सुनने की शक्ति कमजोर है उनके लिए सांकेतिक भाषा ही संचार का एकमात्र तरीका है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ

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