समुद्र की सुरक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा – शिवानी जैन एडवोकेट

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संज्ञान न्यूज टीम

अलीगढ़ (संज्ञान न्यूज)।ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि प्रत्येक साल 24 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा विश्व समुद्री दिवस मनाया जाता है। कई जगहों पर इसे 26 सितंबर को भी मनाया जाता है। समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह दिन विश्व स्तर पर मनाया जाता है।
इसको मनाने का उद्देश्य समुद्री वातावरण की सुरक्षा, समुद्र की सुरक्षा, समुद्री उद्योग और शिपिंग सुरक्षा के महत्व के प्रति लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना है। इस दिन को पहली बार साल 1978 में मनाया गया था।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड कमेटी सदस्य डॉ कंचन जैन ने कहा कि प्राचीन भारत में दक्षिण भारत के पूर्वी एशिया और पश्चिम में अरब संसार के साथ नौवहन संबंधों का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा हड़प्पा संस्कृति के मेसोपोटामिया मिस्त्र और रोमन से नाव परिवहन द्वारा व्यापारिक आदान-प्रदान के भी प्रमाण मिलते हैं। महाभारत और रामायण काल के दौरान नौकायान और जहाज के उपयोग के प्रमाण मिलते है।


भारत के तीन ओर समुद्र है, आंध्र प्रदेश, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, गोवा, गुजरात, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, पुडुचेरी, दमन और दीव एवं लक्ष्य दीप समूह भारत के समुद्री तटवर्ती राज्य हैं।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन ने कहा कि चंद्रमा समुद्र को प्रभावित करता है, चंद्रमा से उत्पन्न होने वाली लहरें कभी-कभी समुद्र के लिए विनाशकारी साबित होती है। चंद्रमा द्वारा पृथ्वी पर लगाए जाने वाले गुरुत्व बल के कारण होती है। आपको बता दें कि अमावस्या के दिन समुद्र शांत रहता है और पूर्णिमा के दिन अशांत स्थिति में रहता है।
शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जी शालू सिंह एडवोकेट,सुनीता जी, विमला चौधरी सरोज जी, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट,सागर उपाध्याय एडवोकेट ,ज्ञानेंद्र मित्तल एडवोकेट ,रामबाबू वर्मा एडवोकेट ,डॉ राजेंद्र कुमार जैन, इं आकाश कुमार जी, आदि ने कहा कि
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन के अनुसार दुनिया भर में लगभग 80 फीसदी व्यापार समुद्री रास्ते से ही किया जाता है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समुद्र का जन्म आज से लगभग 50 करोड़ से 100 करोड़ वर्षों के बीच हुआ होगा है। दरअसल, धरती के विशालकाय गड्ढ़े पानी से कैसे भर गए यह अनुमान लगाना मुश्किल है। दूसरी ओर इतने विशालकाय गड्‍ढे कैसे निर्मित हुए यह भी एक बड़ा सवाल है। वैज्ञानिक कहते हैं कि जब पृथ्वी का जन्म हुआ तो वह आग का एक गोला थी। जब पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी होने लगी वे उसके चारों तरफ गैस के बादल फैल गए। ठंडे होने पर ये बादल काफी भारी हो गए और उनसे लगातार मूसलाधार वर्षा होने लगी। लाखों साल तक ऐसा होता रहा। पानी से भरे धरती की सतह के ये विशाल गङ्ढे ही बाद में समुद्र कहलाए।शिवानी जैन एडवोकेट,
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ

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