सनातन धर्म की रक्षा के लिए ‘भगवान परशुराम’ के दिखाए मार्ग पर चलना होगा – अरुण कौशिक

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नई दिल्ली(संज्ञान न्यूज़) ‘भगवान परशुराम’ जन्मोत्सव के पावन अवसर पर देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अरुण कौशिक ने प्रभु के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन करते हुए सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर अरुण कौशिक ने कहा कि विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म की सबसे बड़ी खूबी यह है कि विकट से विकट परिस्थितियों में भी इंसानियत को सर्वोपरि मान कर कार्य किया जाता है, हर स्थिति में मानवीय सरोकारों से परिपूर्ण जीवन यापन सनातन धर्म का लक्ष्य है।

लेकिन देश में आज जिस तेजी के साथ अधर्मी लोगों का जमघट बढ़ रहा है, वह स्थिति सनातन धर्म, संस्कृति व परंपराओं के मद्देनजर चिंताजनक है। आज आधुनिक बनने की होड़ में जिस तरह से देश में कुछ लोग पाश्चात्य संस्कृति की कुरीतियों के प्रभाव में आ रहे हैं वह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि आज देश के अंदर जिस तरह से धर्म के नाम पर अधर्म हो रहा है, उस स्थिति से निपटने के लिए हम लोगों को समय रहते शस्त्र व शास्त्र का ज्ञान लेकर ‘भगवान परशुराम’ के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को ‘भगवान परशुराम’ के तप, धैर्य, पराक्रम, त्याग व ज्ञान के भंडार से सीखना चाहिए, देश के युवाओं को यह समझना चाहिए कि किस प्रकार से ‘भगवान परशुराम’ में यह सभी गुण बचपन से ही विद्यमान रहे थे।

ज्योतिषाचार्य अरुण कौशिक ने कहा कि आज युवाओं को देश व समाज हित में यह समझना होगा कि किस प्रकार से ‘भगवान परशुराम’ ने अपनी अद्भुत शक्तियों का कभी दुरुपयोग नहीं किया और उन्होंने अपने शस्त्र हमेशा सुयोग्य व्यक्ति को ही दिये। उन्होंने कहा कि जीवन पथ पर चलते हुए हमें ‘भगवान परशुराम’ के जीवन से प्रेरणा अवश्य लेनी चाहिए, इससे जीवन की कठिन राह आसान हो जायेगी। उन्होंने कहा है कि ‘भगवान परशुराम’ ने समाज को एकजुट होने का जो संदेश दिया था, वह आज के समय में भी उतना ही प्रासांगिक है। आज सनातन धर्म के लोगों को ‘भगवान परशुराम’ की तरह निड़र व निर्भीक होकर अपने गौरवशाली धर्म व संस्कृति की रक्षा करते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दुनिया में अत्याचार व अधर्म के कार्य हो रहे हैं, उसको रोकने के लिए सभी को ‘भगवान परशुराम’ के द्वारा बताए मार्ग पर चलना चाहिए व उनके ओजस्वी विचारों को अपने जीवन में आत्मसात अवश्य करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ‘भगवान परशुराम’ की तरह अच्छे कार्यों को अहमियत देना ही वास्तव में ब्राह्मणत्व है और शस्त्र व शास्त्र का ज्ञान लेकर अन्याय के विरुद्ध सतत संघर्ष करना एक ब्राह्मण का कर्तव्य है।

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