बज़्मे राही 324 तरही मुशायरा सैयद शाह गुफरान अशरफी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ

संवाददाता रज़ा सिद्दीक़ी

गया (संज्ञान न्यूज़)बज़्मे राही गया, बिहार का 324वाँ माहान तरही मुशायरा ईद के शीर्षक से खानकाह करिमिया बीथो शरीफ गया में सज्जादा नशीन सैयद शाह गुफरान अशरफी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ, जिसका संचालन खालिक हुसैन परदेसी ने किया। इस अवसर पर गया कि वरिष्ठ उर्दू लेखक डॉ अहमद सग़ीर को उर्दू साहित्य अकादमी दिल्ली में सलाहकार के रूप में चुने जाने पर बज़्मे राही की ओर से अंग वस्त्र और पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में गया जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री सुमन्त और सम्मानित अतिथि के रूप में उर्दू दैनिक कौमी तंजीम के गया व्यूरो चीफ फैजान अजीजी व बज्म नदीम के सदर जनाब नदीम जाफरी उपस्थित रहे। सबसे पहले फैजान अजीजी ने डॉ सग़ीर के व्यक्तित्व के साथ उनके साहित्यिक सफर पर प्रकाश डाला। सैयद शाह गुफरान अशरफी ने डॉ सग़ीर अहमद को मुबारकबाद देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

माहाना तरही मुशायरे का आरंभ कारी इमरान आजाद रहबरी नवादा ने कुरान की आयत पढ़कर किया। सैयद शाह गुफरान अशरफी ने शेर में पढ़ा- ईद का दिन है मगर ईद मनाए कैसे ? जख्म इतने हैं कि हर जख्म दिखाए कैसे ?? सुमन्त ने अपनी कविता में कहा- ईद के चाँद सरीखे तुम हर घड़ी मुस्काओ। जीओ और दूसरों को जीने की राह बताओ।। डॉ एजाज मानपुरी ने गजल में गाया- गौर से देखो गरीबों की छलकती आंखें। तुमको हो जायेगा दीदारे खुदा ईद के दिन।। खालिक हुसैन परदेसी ने कहा- आज दुश्मन को भी सीने से लगा लो यारो। ईद आई है गल्ले मिलके मन लो यारो।। अफसर जमाल अफसर ने कहा- है दुआ रब से चमन ऐसे ही आबाद रहे। भाईचारे के मुहब्बत का सबक याद रहे।। इरफान मानपुरी ने शेर में कहा- मोहब्बत रूठकर सादात की दहलीज से निकली। कोई लाओ मनाकर है कहां ये ईद का दिन है।। ड़ॉ आफताब आलम अतहर ने कहा- गमगीन रहे न कोई यूं ईद मनायेंगे। ये यौमे मुसर्रत है हर एक को हंसायेंगे।। सैयद मुमताज अहमद तेगी मुजफ्फरपुर ने कहा- तुम जो मिले तो रोज मेरी ईद है। तुम जो गए बहार का मौसम चला गया।। कारी इमरान आजाद रहबरी नवादा ने कहा- तरीकियां मिटाने के फिर ईद आई है। शम्मे वफा जलाने को फिर ईद आई।। डॉ मतिनुद्दीन मतीन ने कहा- मोमिनों की हो गई शक्लो शबाहत ईद की। हर बड़े छोटे में देखी है, अलामत ईद की। इनके अलावे अख्तर इमाम अंजुम सासाराम, कारी अनीस फरीदी नवादा, शकील ससरामी पटना, डॉ नसीर आदिल कमरौली दरभंगा के भी शेर सुनाए गए। मुशायरा के समपन्न से पहले अगिले महीने के लिए तरह दी गई- अगर चे मौका मुझे मिलता रुनुमाई का ? काफिया- जुदाई, परसाई, जग हंसाई, बेबफाई आदि। रदीफ- का। अगिला तरही मुशायरा 28 मई को होगा।

About Author

Leave a ReplyCancel reply