यूरोपीय देशों में सत्संग करते हुए संत श्री ध्यान प्रेमानंद जी महाराज
विशाल अग्रवाल (संज्ञान न्यूज़)
उधम सिंह नगर/ केलाखेड़ा


केलाखेड़ा- 8 अक्टूबर सात समंदर पार गये संत श्री ध्यान प्रेमानंद जी महाराज का जोरदार एवं भव्य स्वागत कर श्रद्धालुओं ने आरती उतारी । इस मौक़े पर उन्होंने यूरोपीय देशों में सनातन का प्रचार प्रसार किया।इस मौक़े पर जय सच्चिदानंद की चारों और गूँज रही।इस अवसर पर केलाखेड़ा क्षेत्र की संगत ने महाराज जी को व्हाट्सएप के द्वारा सीधा संवाद कर बधाई दी।
श्री अद्वैत स्वरूप विचार आश्रम फतेहाबाद, हरियाणा (भारत) से, “श्री नंगली दरबार के संत “स्वामी ध्यान प्रेमानंद जी” ने यूरोप के विएना आष्ट्रेिया, इटली के मिलान एवं स्पेन के मैड्रिड तथा वेलेंसीया के गुरुद्वारा सिख संगत में चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी के गुरु पर्व पर अरदास में शामिल होकर संगत को गुरुओं के दर्शाये मार्ग पर चलने की प्रेरणा कर बधाई दी तथा कहा “सकल सृष्टि का राजा दुखिया, हरि का नाम जपे होय सुखिया”का उपदेश देते हुए भारतीय लोगों को सनातन के संस्कार बनाए रखने एवं सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा की तथा वेलेंसिया में अकस्मात आई बाढ़ में हुई जान-माल की हानि को लेकर मृतक लोगों की आत्मिक शांति के लिए वेलेंसिया के राधा कृष्ण मंदिर में ईष्ट चरणों में प्रार्थना की तथा जिनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है उनके लिए भी आई हुई संगत को अपनी-अपनी सामर्थनुसार तन-मन-धन से सहायता की प्रेरणा की।
स्वामी जी ने सृष्टि का वर्णन करते हुए बताया कि ब्रह्मा जी सृष्टि करने में तभी सफल हो पाए जब उन्होंने अपनी मलीन माया की रचना रची, उसी माया के वशीभूत यह जीव अपने वास्तविक स्वरूप को भूलकर संसार के कोने-कोने में सुख की खोज में दौड़ रहा है।
अपने लक्ष्य से भटकी हुई मानवता को सद्-मार्ग दर्शने के लिए समय-समय पर इस धरा पर सृष्टि के अधिष्ठाता पारब्रह्म परमेश्वर “कभी राम बने, कभी कृष्ण बने। कभी नानक रूप कहाए हैं, वही तो मेरे हारां वाले संत रूप धर आऐ हैं”।। का प्रमाण देते हुए यह बताया कि इसी श्रृंखला में श्री “नंगली निवासी भगवान” जी ने इस धरा पर “नित्य-अवतार” के रूप में प्रकट होकर यह दर्शाया कि वास्तव में हम सब उस परमपिता परमात्मा की अंश है, हमें अपने वास्तविक स्वरूप को समझते हुए अपने जीवन के निर्वाह हेतु सभी कार्य व्यवहार सुंदर ढंग से करते हुए, तत्वेता महापुरुषों की चरण-शरण ग्रहण कर उनके द्वारा दिए नाम-शब्द की कमाई करते हुए, उस मलीन माया के पर्दे को फाड़ कर, अपने वास्तविक स्वरूप (आत्मा) को जान कर परम आनंद की प्राप्ति करना है, वास्तव में आत्म साक्षात्कार ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है।
इसी के साथ ही “पिला दे ऐ साकी, राम-नाम की मस्ती” के संकीर्तन से आए हुए श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया।
श्री राधा कृष्ण मंदिर के संस्थापक, पुजारी एवं आए हुए श्रद्धालुओं ने भारत से आए स्वामी ध्यान प्रेमानंद महाराज जी का हार्दिक अभिनंदन करते हुए पुनः आगमन के लिए प्रार्थना की।


