भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी आमस प्रखंड के आंगनवाड़ी कार्यालय, सीडीपीओ के देख रेख में रिटायर्ड कर्मी के द्वारा अनाधिकृत रुप करायी जा रही है अवैध रुपये की वसूली
संवाददाता रंजीत कुमार ब्यूरो चीफ
आमस (संज्ञान न्यूज)।सरकार द्वारा बाल विकास परियोजना अंतर्गत चल रहें आंगनवाड़ी केंद्रो पर बच्चों का मानसिक विकास , प्राथमिक शिक्षा के साथ- साथ भूख और कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाया जा रहा है ताकि गरीब महिलाएं और बच्चे को कुपोषण से बचाया जाय ,पर गया जिला के आमस प्रखंड के बाल विकास परियोजना में यह योजना भ्रष्टाचार के भेट चढ़ कर रह गई है, कार्यालय में रिटायर्ड बड़ा बाबू राजेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रो के सेविकाओं से सीडीपीओ की निगरानी में अवैध रुपये की वसूली किया जाता है और यहां सिर्फ काग़ज़ पर ही सभी सेवाएं दिखाई देता है बाकी सारा खेल कमिशन के सहारे ही चल रही हैं।
ग्रामीण सूत्रों के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रो पर बच्चों को मेनू के मुताबिक नहीं तो पोषाहार मिलता है और नही आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों एवं धात्री महिलाओ को सूखा राशन वितरण किया जाता है और उसके एवज मे महिला पर्यवेक्षिका द्वारा निरीक्षण के नाम पर सेविकाओं से 1000 से लेकर 1500 रुपये प्रति केंद्र से प्रति माह लिया जाता है जो सेविका नही देती हैं उसको सुपरवाइजर चयन मुक्त करने का धमकी देती हैं एवं बड़ा बाबू द्वारा 3000 रुपये प्रति केंद्र प्रति माह वसूला जाता हैं और जब इस मामले को लेकर पत्रकार ने आमस के सीडीपीओ से बात करना चाहा तो सीडीपीओ मंजू कुमारी सिंह एक लाइन में कह कर निकल जाती है कि यह सब हमसे क्या पूछते हैं? अब आप सोच सकते हैं कि जिस घर का मालिक अगर बेलगाम हो तो उस घर का हालत कैसा होगा? यह सवाल आमस प्रखंड के सीडीपीओ मंजू कुमारी सिंह पर खड़ा करता है आखिर बच्चों को किसके बलबूते मेनू के मुताबिक खाना नहीं दिया जाता है? कहीं ना कहीं सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिका सहित बड़ा बाबू की भी संलिप्ता है। सूत्र बताते हैं कि कुछ ऐसे सेंटर भी है कि कभी खुलती भी नहीं है और आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहती है।लेकिन इससे इनको कोई फर्क़ नहीं है बस घूम -घूम सेविकाओं से कर हर एक सेंटर से पैसा का वसूली किया जाता है। एक तरफ से कहा जाए तो सीडीपीओ मंजू कुमारी सिंह के ही निगरानी में आंगनबाड़ी केंद्र का सारी व्यवस्था भ्रष्ट है। सूत्र बताते हैं कि जब सुपरवाइजर और बड़ा बाबू ही घूम-घूम कर सेंटर से पैसा वसूली कर लेता है तो आंगनबाड़ी सेविका रूटिंग के मुताबिक भोजन कहां से देगी? सीडीपीओ मंजू कुमारी सिंह की मनमानी से तंग है ग्रामीण जनता। आखिर सीडीपीओ मंजू कुमारी सिंह किसके बलबूते पर पत्रकार से इस तरह से बात करती है। कहीं ना कहीं वरीय अधिकारी का साया तो नहीं? आखिर वरीय अधिकारी ऐसे ऐसे सीडीपीओ को संज्ञान में क्यों नहीं लेते हैं?! यह सवाल वरीय अधिकारी पर भी खड़ा करता है?